.

.
** हेलो जिन्दगी * * तुझसे हूँ रु-ब-रु * * ले चल जहां * *

Friday, February 10, 2017

इन्तजार


इन्तजार की घड़ियां इतनी दुखदायी न थी ,
मिलन की आरजू इस कदर परायी न थी ,
ये कौन सी राह पर चल पड़ा ऐ !दिल बता ,
तन्हाईयों में भी इस कदर तन्हाई न थी । 

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...